अब निजी लैब्‍स में भी कोरोना की जांच, अधिकतम मूल्‍य भी तय

अब निजी लैब्‍स में भी कोरोना की जांच, अधिकतम मूल्‍य भी तय

सांकेतिक फोटो

सेहतराग टीम

कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे के मद्देनजर केंद्र सरकार ने कोरोना की जांच के लिए निजी प्रयोगशालाओं को भी मंजूरी दे दी है। हालांकि इसके लिए सरकार ने शर्त लगाई है कि निजी प्रयोगशालाओं को मरीजों की को रोना जांच के लिए यूएस एफडीए और यूरोपीय यूनियन द्वारा मंजूर जांच किट का ही इस्तेमाल करना होगा। यही नहीं सरकार ने जांच का अधिकतम शुल्क भी तय कर दिया है। निजी प्रयोगशालाएं कोरोना जांच के लिए किसी भी हाल में 4500 रुपये से ज्यादा नहीं ले सकेंगी। इनमें से 15 सौ रुपये शुरुआती जांच और ₹3000 कन्फर्मेशन जांच के लिए लिए जाएंगे। केंद्र सरकार द्वारा कोरोना की जांच और उसके इलाज के लिए नोडल एजेंसी बनाए गए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी कि आईसीएमआर ने अपील की है कि देश के वर्तमान हालात को देखते हुए निजी प्रयोगशालाओं को यह जांच फिलहाल मुफ्त में करनी चाहिए। गौरतलब है की अभी तक देश की 111 सरकारी प्रयोगशालाओं में ही कोरौना की जांच की जा रही है और यह जांच पूरी तरह से मुफ्त है। शुरुआत में सिर्फ 50 निजी प्रयोगशालाओं को जांच की अनुमति दी जा रही है और इनमें भी एनएबीएल एक्रेडिटेड प्रयोगशाला को ही मान्यता दी जाएगी।

शनिवार को आईसीएमआर ने कोरोना से संबंधित जांच की गाइडलाइन में भी बदलाव किया है। अभी तक की गाइडलाइन के अनुसार सिर्फ ऐसे मरीजों की ही जांच की जाती थी जोया तो विदेश से आए थे या विदेश से आए किसी व्यक्ति के संपर्क में आए थे और उनमें कोरोना से संबंधित लक्षण दिखते थे। सरकार की इस गाइडलाइन की व्यापक आलोचना की जा रही थी और कहा जा रहा था कि इसके कारण संक्रमण की वास्तविक स्थिति का पता नहीं चल पा रहा है। नए बदलावों के तहत अब आईसीएमआर ने कहा है कि अस्पताल में भर्ती ऐसे सभी मरीजों की अब कोरोना जांच भी की जाएगी जिनमें कोरोना वायरस से संक्रमण के लक्षण दिखेंगे फिर भले ही वह मरीज विदेश से आया हो या नहीं अथवा ऐसे किसी विदेशी के संपर्क में आया हो या नहीं। 

पुरानी गाइडलाइन के आलोचकों का कहना था कि वायरस का संक्रमण समाज में भी फैल गया है मगर जांच नहीं होने के कारण इसका पता नहीं चल पा रहा है। हालांकि आईसीएमआर ने रैंडम आधार पर करीब 850 लोगों के सैंपल की कोरोना वायरस संक्रमण के लिए जांच की थी और उनमें से एक का भी रिजल्ट पॉजिटिव नहीं आया था। इस आधार पर आईसीएमआर ने  दावा किया था कि अभी तक वायरस का सामुदायिक प्रसार नहीं हुआ है। इसके बावजूद आलोचक यह कह रहे थे की जांच की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है। अब नए बदलावों के तहत निजी लैब निजी अस्पतालों में भी भर्ती कोरोना के लक्षण जैसे मरीजों की जांच कर सकेंगे और इनसे यह साबित होगा की कोरोना वायरस का संक्रमण समुदाय तक फैल गया है या नहीं।

इस बीच देश में कोरोना संक्रमण के मामले 332 तक पहुंच गए हैं। शनिवार को 1 दिन में 77 नए मरीज सामने आए हैं। भारत में अब तक सामने आए मरीजों में से 40% नए मरीजों का पता पिछले दो दिनों में चला है। मरीजों की संख्या के मामले में महाराष्ट्र नंबर एक पर बना हुआ है जहां 64 मामले सामने आए हैं जबकि 52 मामलों के साथ केरल दूसरे नंबर पर है। दिल्ली में 27, यूपी में 26, राजस्थान में 24 और हरियाणा में 24 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। दिल्ली एनसीआर में शनिवार को 11 नए मामले सामने आए जबकि महाराष्ट्र में 10 नए मामले सामने आए हैं। 1 दिन में सबसे ज्यादा 12 नए मामले केरल में सामने आए।

कोरोना से निपटने के लिए आज जहां पूरे देश में जनता कर्फ्यू लागू है वहीं राजस्थान ने अपने सीमाओं को पूरी तरह से सील कर दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को ही राज्य में पूरी तरह से लॉक डाउन की घोषणा कर दी है। किराना चिकित्सा दूध आदि की सुविधाओं को छोड़कर बाकी सभी सुविधाएं बंद कर दी गई है और लोगों से घरों में रहने को कहा गया है।

राजस्थान के अलावा महाराष्ट्र, गोवा, बिहार तथा पश्चिम बंगाल ने भी अपनी सीमाओं को 22 से लेकर के 31 मार्च तक सील करने की घोषणा की है। मिजोरम ने तत्काल प्रभाव से इनर लाइन परमिट जारी करने पर रोक लगा दी है ताकि दूसरे राज्यों से लोग वहां न पहुंच सकें।

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